Tuesday 9 October 2012

एक लड़की का ख्व़ाब

लड़की होना
कल्पना जैसा सुंदर होना है
ऐसी कल्पना का ख्व़ाब भला क्या हो सकता है ?

कई बार सोचा
कल्पना करूँ उन ख़्वाबों की ..

एक सुखी परिवार, बच्चे, शान्ति, आराम
नहीं होते है उसके तस्सव्वुर में

वो अगर ख्व़ाब बुनती है
तो सिर्फ असीम स्नेह के
एक हमसफ़र ..
कभी न ख़त्म होने वाला सफ़र
तन्हाई ..
छोटी-छोटी सी शरारतें

कायम रखना चाहती है
धडकनों की हलचल
बसा लेती है एक और जहां
दुनिया से बहुत दूर ...

लड़की होना
मासूमियत जितना मासूम होना है
बस जीती रहती है इन ख्वाबों में ..

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