Wednesday 3 October 2012

बदलता मौसम

आँसू गम के ही नहीं
ख़ुशी के भी होते है

तुम्हारे आंसुओं का पता ही नहीं चलता ...

आज फिर तुम बरसे हो
लोग कह रहे थे
मौसम बड़ा खुशगवार है

शायद आसमान में छिटकी
बिखरे काजल सी कालिमा
उन्हें नजर नहीं आई ...

काजल कब बिखरता है मैं जानती हूँ

नहीं जानती तो बस इतना
मौसम क्यों ?
बनते बनते यूँ बिगड़ गया

मेरे नसीब की तरह ....

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