Tuesday 2 October 2012

नाजायज़

ए बगीचे के फूल!!
तुम्हे महकना आता है ..
अच्छा है |

पर सुनो ....

इस बगीचे के कुछ उसूल है
महकना होगा तुम्हे..नियमों पर यंहा
बिखरना होगा ..
माली की ही पुकार पर

करना होगा इनकार तुम्हे
हर उस शय से
जो दर्ज नहीं किसी अनदेखे कायदे में|

नहीं तो जान लो ...
मुहाल हो जायेगा
जीना  तुम्हारा

और साबित कर दी जाएगी
तुम्हारी खुशबू ... नाजायज़ !!


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