दोस्ती प्रेम, चाह एवं लगाव
वैसे ही खूबसूरत, रंगीन और उम्मीदों से भरी हुई
का प्रस्फुटन
शाखों से फूटती कलियों की तरह ही होता है
वैसे ही खूबसूरत, रंगीन और उम्मीदों से भरी हुई
सामने आ जाता है
उसका रंग, खुशबू और आकार
फिर
एक लम्बे वक्त के लिए थम जाता है सब
बन जाता है एक रूटीन
न कोई उम्मीद न ही ताजगी
बस सम्भालना एक -दूजे को
वक्त से गिरती पंखुरियों की तरह
टूटने लगता है ठहराव
दोस्ती, प्रेम, चाह एवं लगाव का
फूल मुरझाने लगता है ...