***झूठा ***
उसने
मेरे सामने ही
अपनी दोनों उंगलियाँ
ऊपर उठायी
और दोनों कानों में
डाल दी....
फिर जोर- जोर से
चिल्लाने लगा ...
मैंने जो कहा
वही सच हा i
मैं ही सच जानता हूँ....
क्योंकि अब तुम झूठ कहोगी
इसलिए
वो मैं नहीं सुनूंगा ..
जो मैंने सुना नहीं
वह तो सच हो न सकेगा ..
वो दहाड़े मार- मार
हँसता रहा….
कहता रहा ..
मैंने सच कह दिया।
फर पीठ मोड़
दौड़ लिया।
मैं अपनी बीच बीच की
लेकिन ...
मगर ...
अरे सुनो तो !!
की नाकाम कोशिशों के बाद
हतप्रभ
बड़ी बड़ी आँखों से
उसे जाते उसे
देखती रही...
वँही कड़ी सोचती रही
इस कदर भी क्या
कोई खुद से
झूठ बोल सकता है !!!
उसने
मेरे सामने ही
अपनी दोनों उंगलियाँ
ऊपर उठायी
और दोनों कानों में
डाल दी....
फिर जोर- जोर से
चिल्लाने लगा ...
मैंने जो कहा
वही सच हा i
मैं ही सच जानता हूँ....
क्योंकि अब तुम झूठ कहोगी
इसलिए
वो मैं नहीं सुनूंगा ..
जो मैंने सुना नहीं
वह तो सच हो न सकेगा ..
वो दहाड़े मार- मार
हँसता रहा….
कहता रहा ..
मैंने सच कह दिया।
फर पीठ मोड़
दौड़ लिया।
मैं अपनी बीच बीच की
लेकिन ...
मगर ...
अरे सुनो तो !!
की नाकाम कोशिशों के बाद
हतप्रभ
बड़ी बड़ी आँखों से
उसे जाते उसे
देखती रही...
वँही कड़ी सोचती रही
इस कदर भी क्या
कोई खुद से
झूठ बोल सकता है !!!
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