अब ठीक हैं
ऐसे न कह सकूंगी कि..
हाँ !!
बांध दिए गए थे मेरे हाथ..
आँखे तरेर कर
और
टोक दिया था क़दमों को
दौड़ने से..
फिर ताने मार
मुंह बना, कहा गया था..
" देखा !!
तुझसे छोटा है...
फिर भी तुझसे तेज़ दौड़ गया "
नहीं
मैं किसी को नहीं बताउंगी।
कि
माँ ने कहा था -
"तुझे क्या लाम पर जाना हैं ? "
और उढ़ेल दिया था
डिब्बे में बचा
आखिरी चम्म्च का "घी"
भाई की थाली में...
जिसे मैं ही
उसकी चारपाई तक
देकर आयी थी।
किसने देखा
जब तक वह डकार लेकर
शाम तक उसी "खाट" पे
सोता रहा....
मैंने धुलवाएं थे
बुझे मन से 'गंदे कपड़े'
तुम तो जानते ही हो
मैं सीख रही थी
सब कुछ
कि पराये घर जाना हैं।
जबकि मैं सोच रही थी
कब जाउंगी.. अपने घर...
यंहा तो बड़ी "परायी" सी हूँ... मैं।
ऐसे न कह सकूंगी कि..
हाँ !!
बांध दिए गए थे मेरे हाथ..
आँखे तरेर कर
और
टोक दिया था क़दमों को
दौड़ने से..
फिर ताने मार
मुंह बना, कहा गया था..
" देखा !!
तुझसे छोटा है...
फिर भी तुझसे तेज़ दौड़ गया "
नहीं
मैं किसी को नहीं बताउंगी।
कि
माँ ने कहा था -
"तुझे क्या लाम पर जाना हैं ? "
और उढ़ेल दिया था
डिब्बे में बचा
आखिरी चम्म्च का "घी"
भाई की थाली में...
जिसे मैं ही
उसकी चारपाई तक
देकर आयी थी।
किसने देखा
जब तक वह डकार लेकर
शाम तक उसी "खाट" पे
सोता रहा....
मैंने धुलवाएं थे
बुझे मन से 'गंदे कपड़े'
तुम तो जानते ही हो
मैं सीख रही थी
सब कुछ
कि पराये घर जाना हैं।
जबकि मैं सोच रही थी
कब जाउंगी.. अपने घर...
यंहा तो बड़ी "परायी" सी हूँ... मैं।
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