मेरी आँखों में
छुप के बैठे कौतुहल
पलकों पीछे से
उचक-उचक
करते रहते हैं तांक-झाँक।
हर दूसरी नज़र से
नज़र बचा
कभी औट ले लेते ..
कभी छलांग सी मारते
धम्म से सामने
आ जाते हैं।
मैं ख़ामोश
इनकी अठ्ठखेलियां देख
बरबस मुस्कुरा देती हूँ।
लोग खामखां ही
सोचने लगते हैं
लड़की बड़ी " शैतान " हैं।
छुप के बैठे कौतुहल
पलकों पीछे से
उचक-उचक
करते रहते हैं तांक-झाँक।
हर दूसरी नज़र से
नज़र बचा
कभी औट ले लेते ..
कभी छलांग सी मारते
धम्म से सामने
आ जाते हैं।
मैं ख़ामोश
इनकी अठ्ठखेलियां देख
बरबस मुस्कुरा देती हूँ।
लोग खामखां ही
सोचने लगते हैं
लड़की बड़ी " शैतान " हैं।
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