आँसू गम के ही नहीं
ख़ुशी के भी होते है
तुम्हारे आंसुओं का पता ही नहीं चलता ...
आज फिर तुम बरसे हो
लोग कह रहे थे
मौसम बड़ा खुशगवार है
शायद आसमान में छिटकी
बिखरे काजल सी कालिमा
उन्हें नजर नहीं आई ...
काजल कब बिखरता है मैं जानती हूँ
नहीं जानती तो बस इतना
मौसम क्यों ?
बनते बनते यूँ बिगड़ गया
मेरे नसीब की तरह ....
ख़ुशी के भी होते है
तुम्हारे आंसुओं का पता ही नहीं चलता ...
आज फिर तुम बरसे हो
लोग कह रहे थे
मौसम बड़ा खुशगवार है
शायद आसमान में छिटकी
बिखरे काजल सी कालिमा
उन्हें नजर नहीं आई ...
काजल कब बिखरता है मैं जानती हूँ
नहीं जानती तो बस इतना
मौसम क्यों ?
बनते बनते यूँ बिगड़ गया
मेरे नसीब की तरह ....
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