उसे चाँद बहुत पसंद था
अक्सर किसी गोद में सर रख
ढूंडता था सैकड़ों समानताये
चाँद उसे
उस रोटी जैसा नजर आता
जिसे वो गोद वाली
पांच हिस्सों में बाट
अन्नपूर्णा हो जाती रही
मानो हर रात
किसी एक के हिस्से का निवाला टूटता
यूँ एक ही चाँद को
कई दिनों तक चलाया उसने ..
काजल की धार सा
वो नुकीला चाँद
दीवार पे टंगे हसियां सा दिखता
जिसे उठा,
निकल पड़ता था
चोरी से बाजरा या धान काटने खातिर
अपने हक के लिए भी
जिस दिन निकला
उठाया था हसियां उसने
वो न मिलता तो
दूर टंगे चाँद को ही ले चलता
हक़ की लड़ाई में हथियार जरुरी होता है न !!
जब जब आसमान में ग्रहण रहता ..
ठीक उसी पल
वो छिप जाता..
गोद अमावसी हो जाती
परिवार और उसके बीच
रोटी की तड़प और तलाश आ जाती
आसमानी ग्रहण तो उतर गया
लेकिन चार लोगो का घटा नहीं
आसमान में टंगी
ललचाती रोटी को
आज फिर उसी गोद में सर रख
कोई निहार रहा है ...
शायद बड़े बेटे ने अपनी विरासत संभाल ली है |
अक्सर किसी गोद में सर रख
ढूंडता था सैकड़ों समानताये
चाँद उसे
उस रोटी जैसा नजर आता
जिसे वो गोद वाली
पांच हिस्सों में बाट
अन्नपूर्णा हो जाती रही
मानो हर रात
किसी एक के हिस्से का निवाला टूटता
यूँ एक ही चाँद को
कई दिनों तक चलाया उसने ..
काजल की धार सा
वो नुकीला चाँद
दीवार पे टंगे हसियां सा दिखता
जिसे उठा,
निकल पड़ता था
चोरी से बाजरा या धान काटने खातिर
अपने हक के लिए भी
जिस दिन निकला
उठाया था हसियां उसने
वो न मिलता तो
दूर टंगे चाँद को ही ले चलता
हक़ की लड़ाई में हथियार जरुरी होता है न !!
जब जब आसमान में ग्रहण रहता ..
ठीक उसी पल
वो छिप जाता..
गोद अमावसी हो जाती
परिवार और उसके बीच
रोटी की तड़प और तलाश आ जाती
आसमानी ग्रहण तो उतर गया
लेकिन चार लोगो का घटा नहीं
आसमान में टंगी
ललचाती रोटी को
आज फिर उसी गोद में सर रख
कोई निहार रहा है ...
शायद बड़े बेटे ने अपनी विरासत संभाल ली है |
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