Friday 22 November 2013

कौतुहल

मेरी आँखों में
छुप के बैठे कौतुहल

पलकों पीछे से
उचक-उचक
करते रहते हैं तांक-झाँक।

हर दूसरी नज़र से
नज़र बचा
कभी औट ले लेते ..
कभी छलांग सी मारते
धम्म से सामने
आ जाते हैं।

मैं ख़ामोश
इनकी अठ्ठखेलियां देख
बरबस मुस्कुरा देती हूँ।

लोग खामखां ही
सोचने लगते हैं
लड़की  बड़ी " शैतान " हैं।

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